केंद्र ने अदालती मामलों में 10 साल में 400 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए

0 - 26-Feb-2025
Introduction

आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि पिछले 10 वर्षों के दौरान सरकार ने अदालती मामलों पर 400 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। 2023-24 वित्तीय वर्ष में मुकदमेबाजी पर केंद्र सरकार का 66 करोड़ रुपये का खर्च पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 9 करोड़ रुपये अधिक था।

चालू बजट सत्र में एक प्रश्न के उत्तर में सरकार द्वारा लोकसभा में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 से मुक़दमों पर होने वाला व्यय बढ़ा है, सिवाय उन दो वित्तीय वर्षों के जब कोविड महामारी अपने चरम पर थी। 2014-15 में मुक़दमों पर होने वाला व्यय 26.64 करोड़ रुपये था, जबकि 2015-16 में यह व्यय 37.43 करोड़ रुपये था।

वित्त वर्ष 2014-15 से 2023-24 के बीच सरकार ने मुकदमों पर 409 करोड़ रुपये से ज़्यादा खर्च किए। इसके अलावा, कानून मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में राज्यसभा को बताया था कि केंद्र सरकार अदालतों में लंबित लगभग सात लाख मामलों में एक पक्ष है, जिसमें अकेले वित्त मंत्रालय लगभग दो लाख मामलों में वादी है।

विधिक सूचना प्रबंधन एवं ब्रीफिंग प्रणाली (LIMBS) पर उपलब्ध आंकड़ों का हवाला देते हुए विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, 'लगभग सात लाख मामले लंबित हैं, जिनमें भारत सरकार एक पक्ष है। इनमें से लगभग 1.9 लाख मामलों में वित्त मंत्रालय को एक पक्ष के रूप में उल्लेखित किया गया है।' सरकार एक राष्ट्रीय मुकदमेबाजी नीति पर काम कर रही है, जिसका उद्देश्य लंबित मामलों के समाधान में तेजी लाना है। प्रस्तावित नीति का मसौदा अंतिम निर्णय के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष जाएगा। नीति का मसौदा कई वर्षों से तैयार और पुनः तैयार किया जा रहा है, तथा विभिन्न सरकारों ने इसकी रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया है।

Comments
Load more comments.
Please Login or Sign up to comment.

Search Gyanva

Press "Enter" to search.

More from Publication

What we offer ?

We offer you a platform to publish your experience, knowledge and research with rest of the world. All you need is to sign up and create your own publication on Gyanva.
logo
facebook youtube